इक आहट पर जो,
आँखें उठाई तो,
देखा सामने वो है...
कोई था उसके साथ,
बिलकुल मेरे ही जैसा
शायद वो मैं ही था...
बातें करते रहे देर तक,
आ गए थे बहुत पास,
अनजाने ही दोनों...
आँखें बंद हुई, और फिर
आँख खुल गयी...
उफ़ ये आवाज़ कैसी..
सामने अलार्म छोड़कर,
और कुछ भी न था,
आये या न आये मुझको यकीन,
पर हाँ ये सपना ही था...
कुछ सपने, सुना है, सच हो जाते हैं..
सच हो न हो,
ये सपना, भूल नहीं पाऊंगा..
आँखें उठाई तो,
देखा सामने वो है...
कोई था उसके साथ,
बिलकुल मेरे ही जैसा
शायद वो मैं ही था...
बातें करते रहे देर तक,
आ गए थे बहुत पास,
अनजाने ही दोनों...
आँखें बंद हुई, और फिर
आँख खुल गयी...
उफ़ ये आवाज़ कैसी..
सामने अलार्म छोड़कर,
और कुछ भी न था,
आये या न आये मुझको यकीन,
पर हाँ ये सपना ही था...
कुछ सपने, सुना है, सच हो जाते हैं..
सच हो न हो,
ये सपना, भूल नहीं पाऊंगा..