Thursday, February 11, 2010

हिचकी ने कल रात नींद से जगाया था...

कह दिया था सब कुछ आँखों से,
फिर भी होठों को कंपकंपाया था...

थामना ना थामना थी तेरी मर्ज़ी,
मैने तो अपना हाथ बढ़ाया था...

बुला रही थी या कहा था अलविदा,
देर तक हाथों को हिलाया था...

करता हूँ इंतज़ार रोज ख्वाबों में,
ख्वाब ख्वाबों का तूने दिखाया था...

अब भी याद करती हो क्या मुझको,
हिचकी ने कल रात नींद से जगाया था...

15 comments:

श्यामल सुमन said...

थामना ना थामना थी तेरी मर्ज़ी,
मैने तो अपना हाथ बढ़ाया था...

सुन्दर भाव की पंक्तियाँ।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

मनोज कुमार said...

अब भी याद करती हो क्या मुझको,
हिचकी ने कल नींद से जगाया था...
क्चा ख़ूब कही आपने .. बहुत-बहुत धन्यवाद
आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा रचना कही है, वाह!!


मुझसे किसी ने पूछा
तुम सबको टिप्पणियाँ देते रहते हो,
तुम्हें क्या मिलता है..
मैंने हंस कर कहा:
देना लेना तो व्यापार है..
जो देकर कुछ न मांगे
वो ही तो प्यार हैं.


नव वर्ष की बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

करता हूँ इंतज़ार रोज ख्वाबों में,
ख्वाब ख्वाबों का तूने दिखाया था...

वाह! बहुत सुंदर पंक्तियों के साथ ...बेहतरीन अभिव्यक्ति.....

(NB:--भई.... आपने देखा होगा कि खेतों में....एक पुतला गाडा जाता है .... जिसका सर मटके का होता है... उस पर आँखें और मूंह बना होता है.... और दो हाथ फूस का..... वो इसलिए खेतों में होता है.... कि फसल जब पक जाती है ..... तो कोई जानवर-परिंदा डर के मारे न आये...... मैं शायद वही पुतला हूँ.... )

जोगी said...

Perfect dear !!!

डॉ .अनुराग said...

kya baat hai....par vaise tumhara daur abhi jaagne ka hi hai .kuch vajaho se ...

Pushpendra Singh "Pushp" said...

सुन्दर रचना
बहुत बहुत आभार एवं नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं

Urmi said...

आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बढ़िया रचना लिखा है आपने!

अपूर्व said...

कोमल भावों से भरी स्निग्ध मधुरता है आपकी इस रचना मे..बिम्बों का खूबसूरत प्रयोग

Amrendra Nath Tripathi said...

महज कविता से बेहतर होती है सहज कविता .. अच्छा
लगा आपका अंदाज ---
'' बुला रही थी या कहा था अलविदा
देर तक हाथों को हिलाया था...

....... आभार,,,

Pushpendra Singh "Pushp" said...

इस अच्छी रचना के लिए
आभार .................

Arvind k said...

Hi Ambuj,

You write well.Keep on adding new dimensions in your writing.

Arvind.

Website: http://indowaves.instablogs.com/

email:akpandey77@gmail.com

शरद कोकास said...

नीन्द में हिचकी..सुन्दर बिम्ब है ।

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

भावपूर्ण सुन्दर रचना है ..

Dushyant Dwivedi said...

mast yaar.....
maine to aaj tumhara blog dekha...
mujhe to aaj pata chala ki humaare beech itna achha kavi bhi hai koi....
itni gahraai se likha hai tune.....
main bilkul stabdh hun.....
keep it up