Monday, March 08, 2010

दुबारा कब आओगे...

हवा का एक तेज झोंका,
आया था मुझसे मिलने,
कमरे की खिड़की आधी खोल गया...

कुछ खास था इस झोंके में,
हर झोंका नहीं आता मुझ तक,
खिड़की खोलकर, कुछ कहने...
हर झोंका लेकर नहीं आता,
एक खास खुशबू साथ अपने,
काँच पर खिड़की के मेरे,
लिखकर नहीं जाता हर झोंका...
कुछ खास तो था ये झोंका...

जाने क्यों, लगा जैसे,
लगा जैसे, तुम आये थे,
और छूकर चले गये...

खिड़की खुली है तभी से,
और नज़रें हैं कि,
नाम नहीं लेतीं हटने का,
उस अधखुली खिड़की से...
कान बैठे हैं ध्यान लगाये,
हो कोई तो आहट,
जो दे संदेशा आन्धी का...
और होठों पर एक ही सवाल,
दुबारा कब आओगे...

20 comments:

जोगी said...

good one !!!

Pratik Maheshwari said...

बढ़िया है..
कोई गम है क्या आपको? किसी का इंतज़ार है क्या आपको?

दीपक 'मशाल' said...

:) kuchh khas hi hoga us jhonke me Ambarish jo wo tumhare paas aaya.. jaldi hi dobara bhi aayega, tumhari khidki jo pahichan gaya hai.. :)
Jai Hind...

Chandan Kumar Jha said...

सुन्दर कविता । प्रेम के सुन्दर एहसास की शुभकामनायें ।

स्वप्न मञ्जूषा said...

waah !!
ambarish babu bahut din baad aaye ho...aur pyar ka jhonka sang mein laaye ho...
sundar kavita...man ki baat kah rahe ho ya sirf kavita hai ye..?
jo bhi hai...bahut hi acchi lagi..

दिनेशराय द्विवेदी said...

सुंदर भाव पूर्ण कविता!

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

पंकज मलिक का गीत याद आया
"ये कौन आज आया सबेरे सबेरे .."
फिर रवीन्दनाथ की पंक्तियाँ
I shall ever try to keep my body pure
knowing that thy living touch is upon all my limbs.

फिर पंकज मलिक
"पिया मिलन को जाना.."

रचते रहो। जहाँ अध्ययनरत हो वहाँ से पी जी किया था मैंने। गंग नहर के शीतल जल की स्मृति अभी भी सिहरा देती है।

Unknown said...

"और होठों पर एक ही सवाल,
दुबारा कब आओगे..."


खुशकिस्मत होते हैं वे लोग जिन्हें इस सवाल का जवाब मिल जाता है, किन्तु कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें जीवन भर इस सवाल का जवाब नहीं मिल पाता।

हरकीरत ' हीर' said...

दुआ है आपके सवाल का जवाब जल्द मिल जाये ....और ये महक आपके करीब बन आये .......!!

सुंदर नज़्म ......!!

Satya Vyas said...

GOOD ONE CHAMP.
KEEP IT UP

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

यादें हवा आहट आंधी...
हमम्म.

shama said...

हो कोई तो आहट,
जो दे संदेशा आन्धी का...
और होठों पर एक ही सवाल,
दुबारा कब आओगे...
Bahut bhavpoorn!

निर्मला कपिला said...

उस अधखुली खिड़की से...
कान बैठे हैं ध्यान लगाये,
हो कोई तो आहट,
जो दे संदेशा आन्धी का...
और होठों पर एक ही सवाल,
दुबारा कब आओगे...
bahut sundar bhaav hai aashaa poorN ho aasheervaad

संजय भास्‍कर said...

सुन्दर कविता । प्रेम के सुन्दर एहसास की शुभकामनायें ।

रश्मि प्रभा... said...

kai baar ek jani pahchani aahat aati hai, chhukar chali jati hai......aati hai ya hum mahsoos karte , jo ho .....in bhawnaaon ka sashakt chitran

rashmi ravija said...

.हर झोंका लेकर नहीं आता,
एक खास खुशबू साथ अपने,
काँच पर खिड़की के मेरे,
लिखकर नहीं जाता हर झोंका...
कुछ खास तो था ये झोंका...

बहुत ही सुन्दर कविता है...एक अनजानी कशिश से भरी...

vivek said...

Wow yaar ! good one !! feel aa gayi us jhonke ki !

अमिताभ श्रीवास्तव said...

hava ke jhonko me hamesha se hi o palti rahi he, iska anubhav lene ka apna apna andaaz hota he, aapka andaaz bhi badhiyaa he.
saadhuvaad

अमिताभ श्रीवास्तव said...

0* smratiyaa (yaade)
-ise esa padhhe

Urmi said...

बहुत ही सुन्दर और गहरे भाव के साथ आपने अद्भुत रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है!