एक आलमारी भरी हुई,
medals और trophies से,
newspaper की वो cuttings,
है जिनमें ज़िक्र कहीं,
या हमारी कोई तस्वीर,
वो भारी भरकम folder,
certificates से भरा हुआ...
कविताओं और कहानियों से भरी,
वो कितनी सारी diaries,
वो unpublished, incomplete novel,
'उसके' कहने पर जिसे,
'अपूर्ण' ही रहने दिया,
पर bestseller लिख दिया था,
अपनी handwriting में...
जाने अनजाने कितने चेहरे,
जिनमें हमेशा तलाशा मैंने,
कभी 'उसे' कभी खुद को...
एक दिन सब रह जायेगा,
यहीं, और 'अपूर्ण'.....
ऐसे ही ख़याल कुछ बोये,
बरसों पहले एक डायरी में,
पन्ने कितने हमने खोये,
जिंदगी की इस शायरी में...
प्यास बड़ी है लिखने की,
जितना लिखोगे उतनी बढ़ेगी,
कविता भी है जिंदगी जैसी,
'अपूर्ण' है, 'अपूर्ण' रहेगी...
ऐसे ही ख़याल कुछ बोये,
बरसों पहले एक डायरी में,
पन्ने कितने हमने खोये,
जिंदगी की इस शायरी में...
प्यास बड़ी है लिखने की,
जितना लिखोगे उतनी बढ़ेगी,
कविता भी है जिंदगी जैसी,
'अपूर्ण' है, 'अपूर्ण' रहेगी...
18 comments:
वाह!! क्या बात है..हर कवि की बात!!
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हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
कितनी सुन्दर कविता लिख दी अम्बुज तुमने...
समय लगाते हो लेकिन जब लिखते तो तो बस छा जाते हो...
बहुत सुन्दर...
waah...good one !!!
बहुत अच्छी प्रस्तुति। सादर अभिवादन।
कविता सुंदर है और बात भी।
लेकिन अंग्रेजी के शब्द मूल रूप में खटके हैं,
उन्हें नागरी में लिखा जाता तो शायद इतना न खटकते।
कई रंगों को समेटे एक खूबसूरत भाव दर्शाती बढ़िया कविता...बधाई
कवि के बोलते, लिखते ख्याल........बहुत बढ़िया
इसमें मेरे या (सभी कवियों के) दृश्य है और वही अहसास जिसे मैंने संजोया है.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है, अम्बुज.
nice awesome...gr8 lines
or best seller likh diya tha bahut umda . sarthak sachhayi.
sachhayi........
लाजवाब बात कही है आपने...सब कुछ अपूर्ण ही तो है...बधाई इस उत्कृष्ट लेखन के लिए...
नीरज
एक दिन सब रह जायेगा,यहीं, और 'अपूर्ण'.....
यही तो शाश्वत सत्य है।
@ कविता भी है जिंदगी जैसी,
'अपूर्ण' है, 'अपूर्ण' रहेगी...
पूरी हो गई तो ब्लॉग जगत के हजारो कवि क्या करेंगे ?
द्विवेदी जी की बात पर अमल लाओ भाई!
ऐसे ही ख़याल कुछ बोये,
बरसों पहले एक डायरी में,
पन्ने कितने हमने खोये,
जिंदगी की इस शायरी में...
प्यास बड़ी है लिखने की,
जितना लिखोगे उतनी बढ़ेगी,
कविता भी है जिंदगी जैसी,
'अपूर्ण' है, 'अपूर्ण' रहेगी...
Han sabki yahi kahani hai...lekin aapne unhen sundar alfaaz ka jama pahnaya!Besakhta dilne kaha..kya baat hai!
प्यास भी पूरी होगी औअर कविता भी लेकिन उसके लिये प्रयास करना होगा ।
शहीद भगत सिंह पर एक रपट यहाँ भी देखें
http://sharadakokas.blogspot.com
awesome bhai !
प्यास बड़ी है लिखने की,
जितना लिखोगे उतनी बढ़ेगी,
कविता भी है जिंदगी जैसी,
'अपूर्ण' है, 'अपूर्ण' रहेगी...
अच्छी प्रस्तुति....!!
बहुत बढ़िया लगा! उम्दा प्रस्तुती !
"यूरोप के नारी-स्वातंत्र्य को भारतीय परिवेश में लागू नहीं किया जा सकता। आदिवासी, दलित, निम्न जातियों की स्त्रियों की पीडा को समझने के लिए अलग नजरिए से चीजों को देखना होगा। श्रमशील स्त्रियों की चिंताओं को आधुनिक विचार के दायरे में लाना होगा। हालांकि इन स्त्रियों के उध्दार के लिए कोई अलग से रूप-रेखा समाज में दिखाई नहीं देती"
[वरिष्ठ कवि लीलाधर मंडलोई के साथ चन्दन राय की बातचीत]
एक बार हस्तक्षेप.कॉम भी देखें
http://hastakshep.com
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