Thursday, July 23, 2009

आज सूरज को अंधेरों ने चुनौती दी

आज सूरज को अंधेरों ने चुनौती दी
लोग कहते हैं ये गलत है, नादानी है ...
सच है, नहीं बुझेगा सूरज कभी मगर
अंधेरों में भी एक दिन रौशनी आनी है ...

परवाह नहीं अब सूरज की ,
न ही जरुरत जुगनू की है ...
हमारे अँधेरे दूर करने के लिए
खुद का दीया ही बहुत है ...

कभी अंधेरो की मजबूरी भी समझो
वहां लोगों पर क्या गुजरती है ...
जिस सूरज ने उन्हें रौशनी न दी कभी
उसे चुनौती देने में क्या गलती है ...

ये कैसा न्याय था की सूरज भी
उ़जाले को ही रौशन करता रहा ...
अँधेरे में रहने वालों का दम
सूरज के रहते भी घुटता रहा ...

आज लोगों ने सिखा है सूरज के बिना
उजाले में अपना जीवन बीतना ...
उजालों की भीख मांगना छोड़ कर
खुद से एक एक दीया जलाना ...

हाँ अंधेरों ने आज ये जुर्रत की है
अंधेरों ने सूरज को चुनौती दी है

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