Sunday, May 02, 2010

Thursday, April 15, 2010

कनेक्शन्स कैसे कैसे !!!

सोचने बैठता हूँ तो,
कभी कभी लगता है जैसे,
लगता है जैसे तुमको,
महसूस हो रहा हो वो सब,
वो सब जो मैने सोचा, चाहा,
देखा, सुना या देखना सुनना चाहा...

जबकि मैं ये जानता हूँ कि,
कोई न्यूरल कनेक्शन नहीं,
ना ही कुछ ब्लूटूथ के जैसा है...

फिर भी कभी कभी,
कभी कभी लगता है जैसे,
जैसे ब्रेन के सिवा भी,
और कनेक्शन्स हो सकते हैं...

Wednesday, March 24, 2010

'अपूर्ण'

एक आलमारी भरी हुई,
medals और trophies से,
newspaper की वो cuttings,
है जिनमें ज़िक्र कहीं,
या हमारी कोई तस्वीर,
वो भारी भरकम folder,
certificates से भरा हुआ...

कविताओं और कहानियों से भरी,
वो कितनी सारी diaries,
वो unpublished, incomplete novel,
'उसके' कहने पर जिसे,
'अपूर्ण' ही रहने दिया,
पर bestseller लिख दिया था,
अपनी handwriting में...

जाने अनजाने कितने चेहरे,
 जिनमें हमेशा तलाशा मैंने,
कभी 'उसे' कभी खुद को...

एक दिन सब रह जायेगा,
यहीं, और 'अपूर्ण'.....


ऐसे ही ख़याल कुछ बोये,
बरसों पहले एक डायरी में,
पन्ने कितने हमने खोये,
जिंदगी की इस शायरी में...

प्यास बड़ी है लिखने की,
जितना लिखोगे उतनी बढ़ेगी,
कविता भी है जिंदगी जैसी,
'अपूर्ण' है, 'अपूर्ण' रहेगी...

Monday, March 08, 2010

दुबारा कब आओगे...

हवा का एक तेज झोंका,
आया था मुझसे मिलने,
कमरे की खिड़की आधी खोल गया...

कुछ खास था इस झोंके में,
हर झोंका नहीं आता मुझ तक,
खिड़की खोलकर, कुछ कहने...
हर झोंका लेकर नहीं आता,
एक खास खुशबू साथ अपने,
काँच पर खिड़की के मेरे,
लिखकर नहीं जाता हर झोंका...
कुछ खास तो था ये झोंका...

जाने क्यों, लगा जैसे,
लगा जैसे, तुम आये थे,
और छूकर चले गये...

खिड़की खुली है तभी से,
और नज़रें हैं कि,
नाम नहीं लेतीं हटने का,
उस अधखुली खिड़की से...
कान बैठे हैं ध्यान लगाये,
हो कोई तो आहट,
जो दे संदेशा आन्धी का...
और होठों पर एक ही सवाल,
दुबारा कब आओगे...

Saturday, February 27, 2010

काश...

काश कुछ लम्हे ज़िंदगी के,
हो पाते Shift+Delete,
Text messages की तरह…

मगर ये ज़िंदगी है, चलती रहेगी

काश कि रियल लाइफ में भी,
अच्छी लगती sad stories,
गीतों ग़ज़लों की तरह…

मगर ये ज़िंदगी है, चलती रहेगी

आसमान में टूटा चाँद देखकर,
आया दिल में एक नेक ख़याल,
काश कि होता कोई product "FeviMoon"…

मगर ये ज़िंदगी है, चलती रहेगी

सबको मिलता है trial version,
काश होता full version ज़िंदगी का,
और हम fake license key बना पाते…

मगर ये ज़िंदगी है, चलती रहेगी

होता कोई option ज़िंदगी में,
format या system clean-up का,
काश हमें unlimited memory ना मिलती…

मगर ये ज़िंदगी है, चलती रहेगी

काश कि पसंद ना आने पर,
कोई update ज़िंदगी का कर पाते,
uninstall या फिर system restore…

मगर ये ज़िंदगी है, चलती रहेगी

काश कि एक ही click में,
हो जाते autocorrect,
ज़िंदगी के सारे syntax errors…

मगर ये ज़िंदगी है, चलती रहेगी

ग़लतियाँ करके भी मिटा पाते,
काश कि ज़िंदगी के canvas में,
कोई eraser, कोई undo होता…

मगर ये ज़िंदगी है, चलती रहेगी

काश कि होता कोई conservative field,
और हो पाती ज़िंदगी में भी,
कुछ reversible processes…

मगर ये ज़िंदगी है, चलती रहेगी

काश कि minimize हो पाते,
Unwanted variations ज़िंदगी के,
किसी low, high या band fielter से…

मगर ये ज़िंदगी है, चलती रहेगी

काश कि कम कर पाता,
ज़िंदगी की vibrations को,
कोई proper isolation system…

मगर ये ज़िंदगी है, चलती रहेगी

काश ना आता कोई obstacle,
flow को turbulent बनाने,
या उसे neglect कर पाते…

मगर ये ज़िंदगी है, चलती रहेगी

काश कि पता होते हमें,
हर outcome के required events,
और हो पाती reverse engineering…

मगर ये ज़िंदगी है, चलती रहेगी

कितनी आसान हो जाती ज़िंदगी,
बिल्कुल engineering की तरह,
पता जो हमें sorce code होता…

काश कि engineering की तरह
इतनी आसान हो पाती ज़िंदगी,
या फिर हम engineering student ना होते...

Thursday, February 18, 2010

ख्वाब चौखट पे मेरी...

दे पाया ना सबको जहान मुकम्मल,
खुदा ये जहान बनाया क्यों है...

एक पल जी लेने की आस में,
हमने सिफ़र बस पाया क्यों है...

दिल में तो सबके घनघोर अंधेरा,
घर में दीया ये जलाया क्यों है...

दिखता नही अब चेहरा इसमें,
ऐसा आईना लगाया क्यों है...

रिश्ता नींद से कबका टूटा,
ख्वाब चौखट पे मेरी आया क्यों है...

Thursday, February 11, 2010

हिचकी ने कल रात नींद से जगाया था...

कह दिया था सब कुछ आँखों से,
फिर भी होठों को कंपकंपाया था...

थामना ना थामना थी तेरी मर्ज़ी,
मैने तो अपना हाथ बढ़ाया था...

बुला रही थी या कहा था अलविदा,
देर तक हाथों को हिलाया था...

करता हूँ इंतज़ार रोज ख्वाबों में,
ख्वाब ख्वाबों का तूने दिखाया था...

अब भी याद करती हो क्या मुझको,
हिचकी ने कल रात नींद से जगाया था...

Wednesday, February 03, 2010

कौन क्या भूला !!!

आकाश - hi
अनुष्का - hi 
.
.
अनुष्का - hi बोलकर कहाँ गायब हो गए???
आकाश - तुमने hi के आगे कुछ नहीं लिखा, तो मुझे लगा शायद कुछ काम कर रही हो.
अनुष्का - हाँ. काम तो कर रही हूँ. तो?? 
आकाश - तो क्या?
अनुष्का - हमेशा तो काम करते हुए बात करती ही हूँ. 
आकाश - ह्म्म्म...
.
.
.
आकाश - ok then, बाद में बात करते हैं. 
अनुष्का - अरे sorry यार. रुको. ये लो काम बंद कर दिया.
आकाश - bbye... take care..
अनुष्का - अरे please रुक जाओ यार..
आकाश - क्या हुआ?
अनुष्का - काम बंद कर दिया. अब बताओ. 
आकाश - क्या बताऊ?
अनुष्का - अरे यार. sorry. sorry. sorry. अब खुश?.. अब तो बोल दो कुछ...
आकाश - ह्म्म्म्म  
.
.
अनुष्का - मैं wait कर रही हूँ...
आकाश - किसका?
अनुष्का - अपनी मौत का!!! तेरे बोलने का और किसका...
आकाश - क्या बोलना है?
अनुष्का - अब ये तो हद है. खुद ही तो ping करते हो और मुझसे पूछ रहे हो कि क्या बोलना है!!!
आकाश - वो तो ऐसे ही..
अनुष्का - मतलब कोई बात नहीं थी?
आकाश - बात का क्या मतलब होता है? रोज तो बिना किसी बात के ही बात करते हैं.
अनुष्का - नहीं कोई बात तो है. 
आकाश - क्या कर रही थी तुम?
अनुष्का - तुम्हारा mood ठीक नहीं लग रहा.
अनुष्का - था कुछ काम.  
आकाश - नहीं तो. mood तो ठीक ही है.. 
अनुष्का - कुछ खास important नहीं है. एक project पर काम चल रहा है, अमन के साथ. 
आकाश - अमन कौन है?
अनुष्का - ये क्या पूछ रहे हो? अमन याद नहीं तुम्हें या एक से ज्यादा अमन को जानते हो.
आकाश - अरे sorry वो click नहीं हुआ दिमाग में कि अमन की बात कर रही हो.
अनुष्का - अमन को भूल गए??
आकाश - हाँ हाँ ठीक है.. पता है.. इतनी बार क्यों बता रही हो.. वैसे भी, कौन क्या भूल रहा है, किसे पता है!!!
अनुष्का - क्या हुआ है? तेरी तबियत तो ठीक है?
आकाश - हाँ..
.
.
अनुष्का- फिर problem क्या है? 
आकाश - कुछ भी तो नहीं..
अनुष्का - तुम upset क्यों हो?
आकाश - नहीं तो?
अनुष्का - तुम हो upset..
आकाश - अरे नहीं हूँ समझती क्यों नहीं..
अनुष्का - मुझसे झूठ बोल रहे हो? बोल पाओगे?
.
.
अनुष्का - कहाँ चले जाते हो बीच बीच में?
आकाश - कहीं नहीं. 
अनुष्का - तो फिर बोलो ना क्या बात है.
आकाश - कहा तो कोई बात नहीं है. तुम project का काम कर लो.
अनुष्का - क्या project मेरे लिए इतना important है!!! तुम से बात कर लें, project तो होता रहेगा...
आकाश - ह्म्म्म्म्म्म 
अनुष्का - इतनी बड़ी बात पर सिर्फ ह्म्म्म्म???
आकाश - तो और क्या सुनना है तुझे?
अनुष्का - चलो ठीक है. अब ये तो बताओ की हुआ क्या है. upset क्यों हो?
.
.
आकाश - फ़ोन क्यों कर रही हो?
अनुष्का - तुम upset हो, reply नहीं कर रहे तो सोचा फ़ोन कर लूँ.. receive क्यों नहीं किया..
आकाश - तेरे पैसे बर्बाद हो जाते.
अनुष्का - अब पैसे कहाँ से आ गए? 
आकाश - ठीक है जाने दो. online हूँ ही तो फ़ोन पर क्यों बात करें?
अनुष्का - तेरी आवाज़ सुननी  है. 
.
.
अनुष्का - कुछ बोल ना. मुझे तुझसे बात करके तेरा mood सही करना है..
आकाश - upset upset बोल कर mood और ख़राब क्यों कर रही हो?
अनुष्का - क्योंकि तुने ping करने की गलती की!!!
अनुष्का - ठीक है, ये तो बता ही सकते हो कि आजकल क्या चल रहा है..
आकाश - मेरे दिमाग  को  छोड़कर सब कुछ.
अनुष्का - अरे वो तो ख़राब हो गया है, चलेगा  कैसे!!!
आकाश - ह्म्म्म्म्म...  
अनुष्का - बता ना. क्या चल रहा है.
आकाश - सब ठीक चल रहा है. nothing special...
अनुष्का - ठीक है. और कुछ?
आकाश - नहीं और कुछ नहीं, तुम जाओ और अपना काम करो अब. तेरी presentation कब है?
अनुष्का - कल.
आकाश - कल तो मतलब आज हो गया ना. 12:30 हो गए. 
अनुष्का - हाँ वही  मतलब. आज.
.
.
आकाश - कल date क्या है? मेरा मतलब है अब आज...
अनुष्का - 25 oct
अनुष्का - ohh sorry यार.
अनुष्का - belated happy birthday.
अनुष्का - sorry यार. पता नहीं कैसे याद नहीं रहा. really sorry यार.
अनुष्का - sorry यार. उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ कैसे भूल गयी मैं!!!! 
अनुष्का - there?

Monday, January 25, 2010

चोरी तो हुई है

चोरी तो हुई है...
कमरा कुछ खाली खाली सा है.
झांक कर देखा तो सब कुछ,
लग रहा है पहले जैसा ही,
पर कुछ तो जरुर हुआ है गायब,
तभी तो खाली खाली सा है.
चोरी तो हुई है...