क्या अब भी मिलती हो तुम,
सबसे वैसे ही मुस्कुरा कर,
या तेरे अंदर भी बना लिया,
है खामोशी ने अपना घर...
बोल पाती हो वैसे ही सब,
शब्द शब्द अक्षर अक्षर,
या फिर मेरी बातों में,
काँप सा जाता है तेरा स्वर...
अब भी हवा के झोंके,
लगते हैं तुमको प्यारे,
या जीते हैं वो भी,
मेरी तरह यादों के सहारे…
जीती हो जिंदगी आज भी,
उसी उमंग औ ख़ुशी के साथ,
या बस रह गयी हैं सांसें,
बेजान जिस्म के साथ…
मैं तो…
आज भी करता हूँ सजदे,
फर्श के उस हिस्से पर,
कुछ पल बिताए थे,
साथ में हमने जहाँ पर...
त्रिवेणी
त्रिवेणी
तेरे साथ की सारी यादें,
सँजोकर रख ली है मैने,
काश! तुमको भी रख पता यूँ ही...
12 comments:
मैं तो…
आज भी करता हूँ सजदे,
फर्श के उस हिस्से पर,
कुछ पल बिताए थे,
साथ में हमने जहाँ पर..
कविता में ट्विस्ट अच्छा लगा...
सुन्दर प्रेमायी कविता....
और आज कल त्रिवेणी का चलन है....
तुम्हारी त्रिवेणी भी जबरदस्त है...
दीदी...
मैं तो…
आज भी करता हूँ सजदे,
फर्श के उस हिस्से पर,
कुछ पल बिताए थे,
साथ में हमने जहाँ पर...
आह!! वाह!! बहुत सुन्दर!!
त्रिवेणी उम्दा है...
तेरे साथ की सारी यादें,
सँजोकर रख ली है मैने,
काश! तुमको भी रख पता यूँ ही...
इस कविता में याद व दर्द को बड़ी कुशलता से उतारा गया है।
बेहद सुन्दर भाव अम्बरीश भाई, कविता के शुरू से आखिर तक, उन १५-१६ से २१-२२ के बीच की उम्र के दिनों की याद दिलाता हुआ !
waqt ke saath parivartan hote hain....unko prashnon me gahan dhang se utara hai ....waah
भैये इश्क़ पर लिखी यह रचना मेरे तो सीधे दिल में उतरी है. अच्छी रचना पढ़कर दिल खुश हो जाता है
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना है। बधाई स्वीकारें।
मैं तो…
आज भी करता हूँ सजदे,
फर्श के उस हिस्से पर,
कुछ पल बिताए थे,
साथ में हमने जहाँ पर..
कविता में ट्विस्ट अच्छा लगा...
सुन्दर प्रेमायी कविता....
और आज कल त्रिवेणी का चलन है....
तुम्हारी त्रिवेणी भी जबरदस्त है...
तुम्हारा भाई....
I can say this to be one of your best creations, selecting the best is bit difficult, but this one is mind blowing...
bahut sundar yatra writant.
Behtar khyal hain!
यादें ही तो रह जातीं है हमारे पास और वही हमारा सहारा बन जाती हैं । सुंदर रचना ।
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