कौन कहता है हर शब की सहर होती है, वो जो बिछड़े फ़िर कभी ना मिले...
सामानो के बीच,अपने आप को,बहुत अकेला पाया..अम्बुज यह पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं..... अब जल्दी से ...दूसरा भाग भी ले आओ....
बहुत खूब ! तेरी ट्रेन भी ना,प्लॅटफॉर्म नंबर 2 पर क्यों आई... क्योंकिप्लॅटफॉर्म नंबर 14 पर,कुछ बेजान और,कुछ साँस लेते,सामान जो पड़े थे !!!!
अरे बुद्धू वो झुमरीतलैया जा रही थी और तुम ...!!सुन्दर कविता...पार्ट २ किस प्लेटफोर्म पर और कब आ रही है ??दीदी..
बहुत बढ़िया!!अब इस बारे मे हम क्या बताए....ट्रेनो का तो हर जगह यही हाल है..:
ये ठंडी साँसें लेते 'सामान'...कौन कहता है दुनिया गर्म होती जा रही है..
देर से आने के लिये मुआफी, अम्बुज!एकदम हटकर, नये अंदाज की प्रेम-कविता...दूसरे भाग का बेसब्री से इंतजार है।
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6 comments:
सामानो के बीच,
अपने आप को,
बहुत अकेला पाया..
अम्बुज यह पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं.....
अब जल्दी से ...दूसरा भाग भी ले आओ....
बहुत खूब !
तेरी ट्रेन भी ना,
प्लॅटफॉर्म नंबर 2 पर क्यों आई...
क्योंकि
प्लॅटफॉर्म नंबर 14 पर,
कुछ बेजान और,
कुछ साँस लेते,
सामान जो पड़े थे !!!!
अरे बुद्धू वो झुमरीतलैया जा रही थी और तुम ...!!
सुन्दर कविता...
पार्ट २ किस प्लेटफोर्म पर और कब आ रही है ??
दीदी..
बहुत बढ़िया!!
अब इस बारे मे हम क्या बताए....ट्रेनो का तो हर जगह यही हाल है..:
ये ठंडी साँसें लेते 'सामान'...कौन कहता है दुनिया गर्म होती जा रही है..
देर से आने के लिये मुआफी, अम्बुज!
एकदम हटकर, नये अंदाज की प्रेम-कविता...दूसरे भाग का बेसब्री से इंतजार है।
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