कभी लिखा था मैंने,
"जियो कुछ ऐसे कि,
रह पाओ जिंदा तुम,
मरने के बाद भी..."
आज बात आगे बढा रहा हूँ अपनी...
अब न रही महफूज़ यारों...
कब तक तुम खामोश रहोगे,
अब तो करो आगाज़ यारों...
गली अँधेरी अपनी ही है,
जागो, करो उजाला यारों...
सोये हुए हैं बरसों से सब,
कोई सबको जगाओ यारों..
बुझे बुझे हैं दिल सबके,
कोई तो शमा जलाओ यारों...
जियो तुम कुछ इस तरह कि,
मरने के बाद भी जी पाओ यारों...
13 comments:
गली अँधेरी अपनी ही है,
जागो, करो उजाला यारों...
panktiya anukarniya hai.
कब तक तुम खामोश रहोगे,
अब तो करो आगाज़ यारों...
गली अँधेरी अपनी ही है,
जागो, करो उजाला यारों...
सोये हुए हैं बरसों से सब,
कोई सबको जगाओ यारों..
बुझे बुझे हैं दिल सबके,
कोई तो शमा जलाओ यारों...
जियो तुम कुछ इस तरह कि,
मरने के बाद भी जी पाओ यारों...
wah !in panktiyon ne dil chhoo liya
bahut hi oomda kavita....behtareen shabdon ke saath,,,,,,,,
अच्छी है...उम्मीद जगाती है कि शमा जलेगी।
बुझे बुझे हैं दिल सबके,
कोई तो शमा जलाओ यारों...
जियो तुम कुछ इस तरह कि,
मरने के बाद भी जी पाओ यारों
बहुत सुन्दर !
मुझे बहुत पसंद आई
क्या बात है भाई हर रोज नए रंग में .....लगे रहो !
जियो तुम कुछ इस तरह कि,
मरने के बाद भी जी पाओ यारों..
बहुत ही सुन्दर और सुखद बात कही है बन्धु आपने ..........यही तो जीवन है !इसे समझ लिया बाकी का सब कुछ समझ लिया!
गली अँधेरी अपनी ही है,
जागो, करो उजाला यारों...
बेहतरीन
कविता अच्छी है लेकिन इससे उपदेश का स्वर झलकता है इसे हम के शिल्प मे लिख कर देखो भाव बदल जायेंगे । यह पैटर्न अब पुराना हो गया है ।
इस रचना के लिए मेरे पास एक ही शेर है
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
ब्लौग का नया फार्मेट और ये नयी रचना- दोनों बहुत पसंद आयी है!
waah bahut likha hai aapne ....seriusly sabhi rachnaye bahut bahut sunder hai ...likhte rahiye..
गौतम बुद्ध की पावन धरती,
अब न रही महफूज़ यारों...
कब तक तुम खामोश रहोगे,
अब तो करो आगाज़ यारों...
गली अँधेरी अपनी ही है,
जागो, करो उजाला यारों...
सोये हुए हैं बरसों से सब,
कोई सबको जगाओ यारों..
बुझे बुझे हैं दिल सबके,
कोई तो शमा जलाओ यारों...
जियो तुम कुछ इस तरह कि,
मरने के बाद भी जी पाओ यारों.
Are waah !!..
Ambuj Baabu...
ham to bahute din baad aaj aaye hain...bacche...
sab kuch naya naya lag raha hai..
Blog ki saaj-sajja bhi aur kavita bhi...
bahut hi sundar...lage dono...
Di..
Post a Comment