चाँद निकला है फिर,
आज अपनी गली में,
एक अरसे के बाद...
ये दिल-ए-बर्बाद भी,
देखो आबाद हुआ है,
आज बरसों के बाद...
न सुना ऐसा कभी पर,
है कमल रेत में खिला,
तेरे आने के बाद...
आके फिर से न जाना तुम,
जिंदगी ही चली जायेगी,
तेरे जाने के बाद...
थी भी कहाँ जिंदगी यहाँ,
साथ आई है तेरे वो भी,
एक अरसे के बाद...
चाँद निकला है फिर,
आज अपनी गली में,
एक अरसे के बाद...
आज अपनी गली में,
एक अरसे के बाद...
15 comments:
गजब अम्बुज भैया गजब । बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है आपने पढ़कर मन खुश हो गया । लाजबाव !!!!
ek arse baad....
koi kavita itni bahi hai....
apni kavita ke alawa....
meri self ego ko hurt karne ke liye tumhein maaf nahi karoonga.
:)
aur main bhoot banke saye ki tarh chipak jaaonga tumhare blog pe....
aakhir...
kamal ret pe khilega to log to dekheinge hi naaa?
nahi nahi vikram aur betal !!
एक अरसे के बाद...
इस रचना ने मन मोह लिया।
चाँद निकला है फिर,
आज अपनी गली में,
बहुत सुन्दर रचना
चाँद निकला है फिर,
आज अपनी गली में,
एक अरसे के बाद...
बेहद खुबसूरत रचना जिसकी हर एक पंक्तियाँ..लाज़वाब!
न सुना ऐसा कभी पर,
है कमल रेत में खिला,
तेरे आने के बाद...
वाह अम्बरीश भाई सुन्दर
सचमुच अच्छा लिखा !!
दर्पण भैया...
ऐसी सज़ा दो तो हँस के सहेंगे,
सह सह के हम ये खता फिर करेंगे,
सीखा तुम्हीं से हमने गुनाह करना,
कचहरी लगी तो हम ये भी कहेंगे...
(और फिर चलता रहेगा मुक़दमा "एक अरसे तक"!!!)
आके फिर से न जाना तुम,
जिंदगी ही चली जायेगी,
तेरे जाने के बाद...
OMG! kya line likhi hai....
bahut hi oomda aur behtareen kavita...
behad sunder,ehsaas,alfaz mann ko bha gaye
अच्छा है अम्बरीश ।
सुन्दर भावपूर्ण रचना लिखी है आपने
थी भी कहाँ जिंदगी यहाँ,
साथ आई है तेरे वो भी,
एक अरसे के बाद...
Sabse behterin line !!
wo kya geet tha....
haan 'Tum aaiye to aaiya mujhe yaad !!'
"चाँद निकला है फिर,
आज अपनी गली में,
एक अरसे के बाद...
"
tum kehte ho na ki main kai cheez se inspired hota hoon...
shayad ye post wahi se to nahi nikli?
और फिर चलता रहेगा मुक़दमा "एक अरसे तक"!!!)
Kal hi ek natak ka manchan dekh ke aaiya tha..
Khamosh adalat abhi zaari hai
"Tum aaiye to aaiya mujhe yaad"
search par laga diya hai..
download hote hi sunkar dekhta hun.. :)
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