Friday, October 23, 2009

हमेशा के लिए...

तेरे दिए कुछ उपहार
चंद मेल जो स्टार्ड (तारांकित) थे,
आज से पहले,

वो अनगिनत जी टॉक चैट,
कुछ हसीं और कुछ ग़मगीं,

पल तेरी यादों के,
वो तस्वीर तेरी जो,
वालपेपर हुआ करती थी,
कभी मेरे डेस्कटॉप का,

आज सब शिफ्ट + डिलीट हो गए...
चिता जल रही थी,
तेरे साथ के ख़यालों की,
उसी में ये भी जल गए...
हमेशा हमेशा के लिए...

और तुम भी हो गए,
शिफ्ट + डिलीट जिंदगी से मेरी,
हमेशा हमेशा के लिए...

13 comments:

ओम आर्य said...

हमेशा के लिये जो दर्द थे वह मिट गये .......क्या कहे समझ मे नही आ रहा!

सुनीता शानू said...

अब कोई और कहेगा कविता मत लिखना तो क्या न लिखेंगे? टिप्पणी पर न जाकर वही लिखिए जो आपको अच्छा लगता है। कविता क्या लिखी जाती है? नही कविता तो खुद-ब-खुद बन जाती है। यह तो वह खूबसूरत अहसास है जो सभी के दिल में बसा रहता है, बस कुछ लोगों के पास इसे व्यक्त करने के लिये शब्द होते हैं कुछ के पास नही। जो भी आज लिखा है अच्छा नही लगा इसीलिये टिप्पणी करने को मजबूर हूँ आपको बहुत बार पढ़ा है जैसा लिखते हो वही लिखिए।

M VERMA said...

और तुम भी हो गए,
shift+delete जिंदगी से मेरी,
हमेशा हमेशा के लिए...
टिप्पणियो का क्या वे तो आते है आने के लिये
कुछ तो करेंगे मगर हम खुद को समझाने के लिये

नीरज गोस्वामी said...

वाह...ये हुई न हाई टेक कविता...बहुत खूब....

नीरज

v!ק(&)ї ภ said...

'Hinglish' version...

स्वप्न मञ्जूषा said...

अम्बुज बाबू,
नए परिधान में नई कविता, नया प्रयोग अच्छा लगा...
लेकिन कविता में एक गेयता होती है, कोमलता होती है, नाज़ुक से भावः भी वो तुम्हारी कविताओं में है.....उसको हर हाल हाल में बरकरार रखना...वैसे तुम बोल चुके हो कि उस बात से सहमत नहीं हो.......फिर भी अगर कभी कोई फिर कहे न तो उसको CTRL + ALT + DEL कर देना ....restart हो जाएगा.....
दीदी

मनोज कुमार said...

आलोचना पर भी संतुलन नहीं खोना आपकी विशेशता है।
है पता हमको वहां पर कुछ नया होगा नहीं
हाथ में हर चीज़ होगी आइना होगा नहीं।

ताऊ रामपुरिया said...

कविता तो मनोभाव होते है जो सरपट दौदते हैं और आपकी रचना मे भी ये बहुत बेहतरिन दौडे हैं. यही शायद मौलिकता है बनाये रखिये.

रामराम.

शरद कोकास said...

वाह अम्बरीश तुम्हारे दोस्त ने चेलेंज किया और तुमने लिख डाला यह तारीफ की बात है । यह कविता भी कम नही है । इसमे भी एक नया प्रयोग है । नये बिम्बो का इस्तेमाल है । कविता इसी तरह अपना फॉर्म तोड़कर ही आगे बढ़ती है । हाँ इसमे जो शब्द रोमन मे लिखे है उन्हे देवनागरी मतलब हिन्दी मे कर लो जैसे delete को डिलीट । बस बाकि बढिया है । आजकल सभी भाषाओ के शब्द हिन्दी कविता मे आ रहे है मेरी कविता मे तो फ्रेंच जर्मन अरबी फरसी के शब्द भी रहते है । कम्प्यूटर की भाषा मे एक बहुत अच्छी प्रेम कविता कवि ओम भारती ने लिखी है । कभी अपने ब्लॉग पर दूंगा ।
अब तुम्हारे दोस्त के लिये एक जवाब यह कि कविता कोई भी कभी पुरानी नही होती इसलिये कि अहसास पुराने नही होते यहाँ मै सुनीता जी की बात से सहमत हूँ । प्रेम ,घृणा जैसे तत्व वही रहते है उसे प्रकट् करने के तरीके,भाषा बदल जाती है लेकिन जीवन के मूल राग नहीं बदलते न कभी पुराने पड़ते हैं । स्नेह - शरद कोकास

अर्कजेश said...

Shift+delete ही हुआ है ना , लो लेवल फ़ार्मेटिंग तो नहीं किये अभी । रिकवरी कर लीजिये थोडा टाइम लगेगा पर हो जायेगा ।

बहरहाल तुलना बढिया किए हैं ।

अपूर्व said...

क्या बात है भई..कविता का पूरा सॉफ़्ट्वेयर ही अप्डेट कर दिया..लेटेस्ट वर्जन..लेटेस्ट प्रतीक..खत से ई-मेल का यह ट्रान्स्फ़ार्मेशन पसंद आया जी..पोस्टऑफ़िस वाले परेशान हो गये होंगे..बधाई

दर्पण साह said...

Mujhe nahi pata ki is kavita ka hetu kya ahi?
par aadhunik pratikon ka upyog mujhe hamesha hi prabhavit karta hai !!
to ye to mere taste ki kavita hjai bahi....
mails, Shift+Delete, Desktop....

Behterin !!

Puja Upadhyay said...

kavita ka ye andaaj bhi juda hai!
mujhe badi acchi lagi kavita, isse relate karna kai baar aasan hota hai, aur muskurahat aa jaati hai deja vu hone par.