जब से यहाँ आया हूँ, दीपावली बहुत miss करता हूँ... घर से बाहर ये मेरी तीसरी दीपावली है... और बिना पटाखों के ५वी ... जब से मुझे दीपावली का सही मतलब समझ में आया, मैंने पटाखे जलाने बंद कर दिए... इस दीपावली को सार्थक रूप में मनाने की अपील करता हूँ...
बिना पटाखे, बिन जुए के,
आओ मनाएं हम ये दिवाली...
दीप जलाएं अंतर्मन का,
फुलझरियां हों खुशियों वाली,
मीठे बोल बनें मिष्ठान्न,
ऐसे मनाएं हम ये दिवाली...
खुशियाँ मांगे माँ से हम सब,
झोली कोई रहे न खाली,
द्वेष भाव सब मिट जाये,
ऐसे मनाएं हम ये दिवाली...
मतलब समझें पर्व का हम,
तभी मनाएं ईद दिवाली,
जीवन में ही उतर आये ये,
ऐसे मनाएं हम ये दिवाली..
13 comments:
मतलब समझें पर्व का हम,
तभी मनाएं ईद दिवाली,
जीवन में ही उतर आये ये,
ऐसे मनाएं हम ये दिवाली..
bahut achchi lagi yeh kavita .........
deepawali ki shubhkaamnayen...............
खुशियाँ मांगे माँ से हम सब,
झोली कोई रहे न खाली,
द्वेष भाव सब मिट जाये,
ऐसे मनाएं हम ये दिवाली...
बिलकुल सही बात वैसे मै भी घर से बाहर ही हु ऐसे समय ए घर की बहुत याद आती है
आपको दीपावली की शुभकामनाये
bahut khub, sundar abhivyakti.... ummid karte hai puri duniya tak aapki baat pahuchegi... prerna ke liye dhanyawaad tatha shubh dipawali :)
दीपपर्व की अशेष शुभकामनाएँ।
आपकी लेखनी से साहित्य जगत जगमगाए।
लक्ष्मी जी आपका बैलेंस, मंहगाई की तरह रोड बढ़ाएँ।
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पर्यावरण और ब्लॉगिंग को भी सुरक्षित बनाएं।
दीपावली, गोवर्धन-पूजा और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!
खुशियाँ मांगे माँ से हम सब,
झोली कोई रहे न खाली,
द्वेष भाव सब मिट जाये,
ऐसे मनाएं हम ये दिवाली...
बहुत सुन्दर ,दीपावली की शुभकामनाये !
बढ़ा दो अपनी लौ
कि पकड़ लूँ उसे मैं अपनी लौ से,
इससे पहले कि फकफका कर
बुझ जाए ये रिश्ता
आओ मिल के फ़िर से मना लें दिवाली !
दीपावली की शुभकामना के साथ
ओम आर्य
मतलब समझें पर्व का हम,
तभी मनाएं ईद दिवाली,
जीवन में ही उतर आये ये,
ऐसे मनाएं हम ये दिवाली..
बहुत सुन्दर और सार्थक संदेश देती इस रचना के लिये बधाई आप्को दीपावली की शुभकामनायें और आशीर्वाद्
सही है!!
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल ’समीर’
duniya tak diwali ka sahee matlab pahuchane ke liye apko bahut bahut badhaai....diwali ki shubhkamnaayein!!
good....touching as well as teaching!!
बहुत सुन्दर अम्बुज । दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें ।
bhav paksh to accha hai hi ambrish bahi....
par kavita ki geyta aur common words aise use hue hain ki nursury ki rhyme si lagti hai !!
(And it's an compliment for you)
Becaus even you know how tough it is to write for children !!
aapki sabhi posts main sabse behterin !!
Khair ab dein izazat....
...phir aaiyenge kabhi furast se aapke blog par
_Namaskaar_
Bhai ye bhi nahi !!
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